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बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

महान क्रन्तिकारी चन्द्र शेखर आजाद की पुण्य तिथि पर शत शत नमन


चंद्रशेखर आजाद
जन्म : 23 जुलाई, 


मृत्यु : 27 फरवरी, 19311920-21 के वर्षों में वे गाँधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए
 गए, जहाँ उन्होंने अपना नाम 'आजाद', पिता का
 नाम 'स्वतंत्रता', और जेल को उनका निवास बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई।
चन्द्रशेखर आज़ाद ने अपने स्वभाव के बहुत से 

गुण अपने पिता पं० सीताराम तिवारी से प्राप्त किये। तिवारी जी साहसी, स्वाभिमानी, हठी और 
वचन के पक्के थे। वे न दूसरों पर जुल्म कर सकते थे और न स्वयं जुल्म सहन कर सकते थे। भाँवरा में उन्हें एक सरकारी बगीचे में चौकीदारी का काम मिला हुआ था। भूखे भले ही बैठे रहें पर बगीचे से एक भी फल तोड़कर न तो स्वयं खाते थे और न ही किसी और को खाने देते थे। एक बार तहसीलदार ने बगीचे से फल तुड़वाना चाहे तो तिवारी जी बिना पैसे दिये फल तुड़वाने पर तहसीलदार से झगड़ा करने को तैयार हो गये। इसी जिद में उन्होंने वह नौकरी भी छोड़ दी। एक बार तिवारी जी की पत्नी पडोसी के यहाँ से नमक माँग लायीं इस पर तिवारी जी ने उन्हें बहुत डाँटा और इसकी सामूहिक सजा स्वरूप चार दिन तक परिवार में सबने बिना नमक के भोजन किया। ईमानदारी और स्वाभिमान के ये गुण बालक चन्द्रशेखर ने अपने पिता से विरासत में सीखे थे

सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

कृष्ण कुमार सोनी (रामबाबू) : केंद्र सरकार बर्बाद कर रही है जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा .

कृष्ण कुमार सोनी (रामबाबू) : केंद्र सरकार बर्बाद कर रही है जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा .
एक तरफ तो सरकार आम नागरिक पर कई तरह के नए नए टैक्स का बोझ लड़ रही है, दूसरी  और जनता द्वारा जमा कराया गया टैक्स जो की उसकी कड़ी मेहनत द्वारा कमाया गया होता हे, और जिसे वह ईमानदारी से टैक्स के रूप में जमा करता है,उस पैसे का केंद्र सरकार अपना वोट बैंक बढाने के लिए अनावश्यक योजनायें चलाकर दुरुपयोग कर रही है.

वीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्य स्मृति पर शत शत नमन


वीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्य स्मृति पर शत शत नमन
जन्म- 28 मई, 1883, भगूर गाँव, नासिक
मृत्यु- 26 फ़रवरी,1966, मुम्बई, भारत
- वीर सावरकर न सिर्फ़ एक क्रांतिकारी थे बल्कि एक भाषाविद, बुद्धिवादी, कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि और महान इतिहासकार और ओजस्वी आदि वक्ता भी थे। उनके इन्हीं गुणों ने महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया।
-वीर सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था।
-वीर सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
-वीर सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
-वीर सावरकर पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
-वीर सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का 'स्वाधीनता संग्राम' बताते हुए लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा।
-वीर सावरकर भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था।
-वीर सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
-वीर सावरकर पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
-वीर सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।
-वीर सावरकर वे पहले कवि थे, जिसने कलम-काग़ज़ के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।